आगरा की साढ़े आठ साल की मासूम की डीएनए रिपोर्ट बेमेल निकली है। कोर्ट ने पालनहार यशोदा मैया ही बेटी का हकदार बताया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीएनए मेल नहीं खाने पर आगरा की साढ़े आठ साल की मासूम को उसे सात साल तक पालने-पोसने वाली यशोदा मैया को ही देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि कानूनी दांवपेच से बच्ची को उसकी पालनहार मां से दूर करना आसान है, लेकिन यशोदा मैया जैसी मां दे पाना कानून के बस में नहीं।
बच्ची पर नितिन गर्ग और उसकी पत्नी ने दावा किया था, जो सिद्ध नहीं हो सका। न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला की खंडपीठ के समक्ष आगरा की एक महिला ने अपनी मानद बेटी की सुपुर्दगी के लिए दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुए यह मार्मिक टिप्पणी की।
कोर्ट ने यशोदा मां को ही उसका सर्वोत्तम संरक्षक माना। साथ ही, इस प्रकरण को विशेष बताते हुए कोर्ट ने यशोदा मैया को बेटी गोद देने की प्रक्रिया एक हफ्ते में पूरी करने का निर्देश भी दिया है। मां को यह बेटी मंगलवार को सुपुर्द की जाएगी।
इसके पहले कोर्ट के आदेश पर सोमवार को पेश हुए विधि विज्ञान प्रयोगशाला आगरा के उपनिदेशक अशोक कुमार ने अदालत को डीएनए रिपोर्ट सौंपी। डीएनए मैच नहीं होने से उसके जैविक माता-पिता होने का दावा करने वाले नितिन गर्ग और उसकी पत्नी की दलीलों का दम निकल गया।
करीब साढ़े आठ साल पहले एक सर्द रात में किन्नर ने टेढ़ी बगिया इलाके में रहने वाली महिला को यह नवजात बच्ची सौंपी थी। उसे कोई खुले में छोड़ गया था। अपने चार बच्चे होते हुए भी नवजात के लिए यही महिला यशोदा मां बन गई। न सिर्फ उसका तत्काल इलाज कराया, बल्कि सात साल तक पालन-पोषण में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। स्कूल में दाखिला भी कराया।
इस बीच, किन्नर की नीयत खराब हो गई और वह बच्ची को उठा ले गया। जब बच्ची बरामद हुई तो बाल कल्याण समिति फर्रुखाबाद के यहां उसने यशोदा को ही अपनी मां बताते हुए उनके साथ जाना चाहा। बच्ची यशोदा को दे भी दी गई, लेकिन आठ माह बाद ही बाल कल्याण समिति आगरा ने कमजोर आर्थिक स्थिति का आधार बनाते हुए बच्ची को फिर बाल गृह भेज दिया था।
बीते 18 महीने से बच्ची बाल गृह में ही है। हाईकोर्ट ने बाल कल्याण समिति आगरा के इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि अधिकारियों ने इस मामले में संवेदनशीलता नहीं दिखाई। साढ़े आठ साल की बच्ची को ऐसी कानूनी बेड़ियां लगा दीं, जिसे लगाना बहुत आसान है लेकिन उसे यशोदा जैसी मां दे पाना बस में नहीं।
खुशी में छलके आंसू
सोमवार को अदालत का फैसला सुनते ही यशोदा की आंखों में खुशी के आंसू छलक आए। उसने कहा, उसकी जिंदगी मिल गई। करीब 16 महीने पहले जुदा हुई बेटी की उस बात को याद कर उसका गला रुंध गया जब किन्नर के कब्जे से छूटने के बाद बाल समिति के सामने बेटी ने कहा था... अम्मी तुम कहां चली गई थीं। मुझे उसने न नाचने पर बहुत मारा।
सुनवाई के दौरान आया था नया मोड़
प्रशासन से रिपोर्ट मांगते ही नया मोड़ तब आया, जब आगरा के नितिन गर्ग ने हाईकोर्ट में दावा किया कि बच्ची के वह जैविक पिता हैं। कहा, वर्ष 2015 में नवजात बच्ची घर से अगवा की गई थी, जिसकी एत्मादपुर थाने में एफआईआर भी दर्ज करवाई थी। कोर्ट ने नितिन गुप्ता को प्रतिवादी के रूप में जोड़ने की अनुमति देते हुए डीएनए टेस्ट कराने का आदेश दिया था।
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