माघ मेले में पड़ने वाले पहले स्नान पर्व पौष पूर्णिमा के पर्व पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है। कड़ाके की ठंड के बावजूद ब्रह्म मुहूर्त से ही श्रद्धालुओं संगम की त्रिवेणी में स्नान कर दान पुण्य कर रहे हैं। पौष पूर्णिमा के पावन पर्व पर संगम की त्रिवेणी में स्नान और दान का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि पौष पूर्णिमा पितरों की पूर्णिमा है और यह कल्याण पर्व है। इस मौके पर आस्था से लोग कल्याण की समस्त कामनाओं को लेकर लोग तीर्थराज प्रयाग आते हैं। इस दिन से ही संगम की रेती पर चलने वाले माघ मेले में कल्पवासी पितरों के मोक्ष और कामनाओं की पूर्ति का संकल्प लेकर कल्पवास की शुरुआत करते हैं। जो कि माघी पूर्णिमा के स्नान पर्व तक चलता है। माघ मेले में आये कल्पवासी जीवन और मृत्यु के बंधनों से मुक्ति की कामना को लेकर अलौकिक शक्ति और ऊर्जा प्राप्त करने के लिए संगम की रेती में एक माह तक कठिन तप और जप करेंगे। पौष पूर्णिमा पर श्रद्धालु व्रत रखकर, स्नान, दान और पूजा-पाठ करते हैं। जिससे घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है और नकारात्मकता खत्म होती है। इस दिन जरूरतमंदों को अन्न और कपड़े दान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि पौष पूर्णिमा के दिन कच्चे फल और सब्जियों का भी दान करना चाहिए।
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