मेडिकल कालेजों में पीजी प्रवेश को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा पर एक लाख रुपये का हर्जाना लगाया है। कोर्ट ने महानिदेशक को इस मामले में जवाब दाखिल करने का कई बार निर्देश दिया था। इसका पालन नहीं किया गया। शुक्रवार को जब मामले की सुनवाई प्रारंभ हुई तो अदालत ने विभाग का पक्ष जानना चाहा। पता चला कि महानिदेशक की ओर से आज भी कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया है। इस नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने महानिदेशक का हर्जाना लगा दिया है। उनको हलफनामा दाखिल करने के लिए 18 अगस्त तक एक और मोहलत दी गई है।
मेडिकल छात्रा भावना त्रिपाठी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल और न्यायमूर्ति अशोक कुमार की पीठ ने दिया है। याची का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राधाकांत ओझा का कहना था कि याची पहली और दूसरी काउंसलिंग में शामिल हुई। उसे मनचाहा विषय नहीं मिल सका। अब तीसरी काउंसलिंग में उसे नहीं शामिल किया जा रहा है जबकि उसके अंक काफी अधिक हैं। मेरिट में उससे नीचे के छात्रों को बुलाया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि पूरी प्रवेश प्रक्रिया में गड़बड़ी दिखाई दे रही है। महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा को इस मामले में जवाब दाखिल करने तथा प्राइवेट मेडिकल कालेजों को भी अपना पक्ष रखने के लिए बुलाने के लिए कहा था। कोर्ट ने जानना चाहा कि अधिक मेरिट होने के बावजूद काउंसलिंग में कम मेरिट वालों को क्यों बुलाया जा रहा है। गलत सरकारी नीति का फायदा उठाकर प्राइवेट कालेज मनमानी कर रहे हैं। मेरिट की अनदेखी नहीं की जा सकती है। महानिदेशक की ओर से कोई जवाब नहीं आने पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने कहा कि इस मामले में समय महत्वपूर्ण है इसलिए शायद जानबूझकर जवाब दाखिल नहीं किया जा रहा है। याचिका पर सुनवाई 22 अगस्त को होगी।
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