महंत की मौत के अगले ही दिन मामले की जांच एसआईटी को सौंप दी गई थी। एसआईटी ने तीन आरोपियों को न सिर्फ गिरफ्तार कर लिया था बल्कि मठ और मंदिर से जुड़े लगभग 300 लोगों से पूछताछ भी की थी। सैकड़ों लोगों के मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगाने के साथ ही एसआईटी ने मठ से जुड़े कई लोगों के नंबरों की सीडीआर भी खंगाली।
जांच और सिर्फ जांच...उठ रहे सवाल, पहले एसआईटी और अब सीबीआई, 14 दिन और 1000 लोगों से पूछताछ। तफ्तीश, बयान, सबूत और न जाने क्या-क्या। लेकिन इन सबके बावजूद अखाड़ा परिषद अध्यक्ष की मौत अब भी राज बनी हुई है। मामला सीबीआई के हाथों में जाने के बाद एसआईटी चुप होकर बैठ गई। उधर 10 दिन से जांच में जुटी सीबीआई की ओर से अब तक एक बार भी यह नहीं बताया गया कि मामले में वह किस निष्कर्ष पर पहुंची है या जांच की मौजूदा स्थिति क्या है। ऐसे में तमाम सवाल अब भी अनसुलझे हैं।
घटनास्थल पर पहुंचकर सीन रिक्रिएशन समेत कई अन्य कवायदें भी कीं, लेकिन मामला सिफर ही रहा। चार दिन की लगातार जांच के बाद भी एसआईटी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। जबकि एसआईटी के पर्यवेक्षण के लिए चार आला अफसरों को भी जिम्मेदारी दी गई थी। 23 सितंबर को मामले की सीबीआई जांच के आदेश दे दिए गए और इसके अगले ही दिन से एसआईटी ने मामले से दूरी बना ली।
करीबियों से पूछताछ, मठ में छानबीन लेकिन..
सीबीआई ने 25 सितंबर को मामले की जांच अपने हाथों में ले ली। टीम ने मठ पहुंचकर पहले दिन आठ घंटे से ज्यादा समय तक मठ में रहकर छानबीन की। सीबीआई की फोरेंसिक टीम ने महंत के कमरे से सबूत जुटाए। उधर, टीम में शामिल अफसरों ने बलबीर गिरि समेत नरेंद्र गिरि के तमाम करीबियों से पूछताछ की। उनके बयान नोट किए।
इसके बाद टीम लगातार जांच पड़ताल में जुटी रही। तीन दिन की जांच पड़ताल के बाद टीम ने 28 सितंबर को तीनों आरोपियों आनंद गिरि, आद्या तिवारी व संदीप तिवारी को कस्टडी रिमांड पर लेकर उनसे पूछताछ शुरू की। आनंद को लेकर हरिद्वार गई और फिर उसका लैपटॉप, मोबाइल बरामद किया। मठ और मंदिर के पास जाकर गोपनीय तरीके से जांच पड़ताल की। महंत के साथ-साथ आरोपियों के कई करीबियों से भी पूछताछ की।
उन पुलिसकर्मियों से भी सवाल किए जो सालों से महंत की सुरक्षा में लगे थे। मामले से जुड़े सैकड़ों साक्ष्य एकत्र किए गए। हालांकि इसके बावजूद अब तक महंत की मौत राज ही बनी हुई है। जांच अब तक कहां पहुंची या इसके निष्कर्ष क्या हैं, इस बारे में सीबीआई की ओर से कोई भी जानकारी नहीं दी गई है।
लगभग पखवारे भर से जांच का सिलसिला जारी रहने के बाद भी महंत की मौत का राज न खुलने की वजह से कई तरह के सवाल भी खड़े होने लगे हैं। कुछ ऐसे ही सवाल...
कमरे से बरामद सुसाइड नोट का सच क्या है? इसे महंत ने ही लिखा या इस पर लिखावट किसी और की है? फोरेंसिक जांच में क्या हुआ, इस बारे में भी कोई जानकारी सामने नहीं आई।
जिस कथित वीडियो/अश्लील तस्वीर का जिक्र सुसाइड नोट में है, क्या वह बरामद हुआ। अगर नहीं तो फिर सुसाइड नोट में लिखी बात को क्या समझा जाए?
सुसाइड नोट में किसी महिला का भी जिक्र है तो आखिर वह महिला कौन थी? सुसाइड नोट में लिखी वीडियो या तस्वीर बनाने वाली बात से तो यही लगता है कि वह महिला महंत की जानने वाली रही होगी। तो उस महिला का क्या हुआ और उसके बारे में अब तक क्या जानकारी सामने आई।
नरेंद्र गिरि के कई बेहद करीबी लोगों ने शुरुआत में सुसाइड नोट की प्रामणिकता को लेकर ही सवाल उठाए लेकिन बाद में उन्होंने चुप्पी साध ली। इसका क्या मतलब था?
...तो लंबी खिंच सकती है जांच
जानकारों का कहना है कि मामले की जांच देश की सबसे बड़ी एजेंसी कर रही है और वह मामले की तह तक जाने के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचेगी। ऐसे में हो सकता है कि जांच पड़ताल का क्रम अभी और लंबा खिंचे। साक्ष्य न मिलने पर आरोपियों का पॉलीग्रॉफ टेस्ट कराने की नौबत आती है तो जांच का लंबा खिंचना तय है।
कब क्या हुआ
20 सितंबर- शाम 5.30 बजे महंत नरेंद्र गिरी मठ के गेस्ट हाउस के कमरे में फंदे पर लटके मिले। हरिद्वार से आनंद गिरि गिरफ्तार किए गए।
21 सितंबर- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे और एसआईटी जांच के आदेश दिए। उसी शाम एसआईटी का गठन किया गया। सीओ अजीत सिंह चौहान के नेतृत्व में 18 सदस्यीय एसआईटी ने जांच पड़ताल शुरू की। आद्या तिवारी भी गिरफ्तार किया गया।
22 सितंबर- आनंद गिरि और पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी को कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
23- तीसरा आरोपी संदीप तिवारी भी जेल भेजा गया। उधर शासन ने मामले की सीबीआई जांच कराने की संस्तुति करते हुए पत्र केंद्र को भेजा।
24 सितंबर- सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की।
25 सितंबर- सीबीआई की टीम बाघंबरी मठ पहुंची और जांच पड़ताल शुरू की।
28 सितंबर- सीबीआई ने तीनों आरोपियों को कस्टडी रिमांड पर लिया
29 सितंबर- आनंद गिरि को लेकर सीबाीआई हरिद्वार पहुंची, आश्रम से लैपटॉप व मोबाइल बरामद किया
30 सितंबर- सीबीआई हरिद्वार से लौटी, जांच पड़ताल व महंत के करीबियों से पूछताछ जारी
4 अक्तूबर- कस्टडी रिमांड की अवधि खत्म होने के बाद तीनों आरोपी वापस जेल भेजे गए
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