दिल्ली पुलिस कमिश्नर के पद पर राकेश अस्थाना (Rakesh Asthana) की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामले पर जल्द विचार करते हुए निपटारा किया जाना चाहिए. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को दो हफ्ते का समय दिया है.
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि ‘इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर है. ये कोई राष्ट्रीय मुद्दा नहीं है. अगर कोई बेंगलुरु और चंडीगढ़ के पुलिस कमिश्नर की नियुक्ति को चुनौती देता तो आप क्या करते. इसे हाईकोर्ट में सुना जा सकता है. वहीं वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि बेतुकी याचिकाएं जानबूझकर हाईकोर्ट में दाखिल की गई हैं. हाई कोर्ट में हमारी याचिका को कॉपी करके याचिका दाखिल की गई, यह नियुक्ति कानूनी तौर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है और यही वजह है कि हम सुप्रीम कोर्ट से मामले कि सुनवाई करने कि गुजारिश कर रहा हूं.
प्रशांत ने कहा कि हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में मामला आने कि वजह से ही वहां मामले की सुनवाई को टाला है. प्रशांत भूषण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के तीन जुलाई 2018 के प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार मामले में दिए गए फैसले की अवमानना है. राकेश अस्थाना को रिटायर होने से तीन दिन पहले दिल्ली के पुलिस आयुक्त बनाया गया.
दरअसल इस साल 27 जुलाई को राकेश अस्थाना को दिल्ली पुलिस कमिश्नर के पद पर नियुक्त किया गया है. इससे पहले वो बीएसएफ के डीजी थे. उनके रिटायरमेंट से तीन दिन पहले ही उन्हें पुलिस कमिश्नर के पद पर नियुक्त कर दिया गया. इसी को लेकर विवाद हो रहा है. आरोप है कि उनकी नियुक्ति के लिए नियमों की अनदेखी की गई.
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