सत्तारूढ़ पार्टी भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सहयोगी जद (यू) ने शनिवार को अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस मुद्दे पर प्रस्ताव पारित किया था. पार्टी ने जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने से संबंधित कानूनों को लागू करने जैसे कदमों के खिलाफ भी बात की.जाति आधारित जनगणना के लिए बिहार विधान मंडल ने 19 फरवरी और फिर बाद में बिहार विधानसभा में 27 फरवरी 2020 को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव भी पारित किया था. जिसे बाद में केंद्र सरकार को भी भेजा गया था. सीएम नीतीश कुमार ने रविवार को कहा था कि हम कल जाति आधारित जनगणना पर चर्चा करेंगे और फिर पीएम को पत्र लिखकर उनका समय मांगेंगे.सीएम नीतीश पहले ही उठा चुके हैं जाति आधारित जनगणना की मांग
वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर कहा है कि देश में जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए ताकि एससी/एसटी के अलावा अन्य कमजोर वर्ग की जातियों की वास्तविक संख्या के आधार पर उनके लिए विकास कार्यक्रम बनाने में सहायता मिले. नीतीश कुमार ने कहा था कि हम केंद्र सरकार से एक बार फिर आग्रह करेंगे कि वह जातिगत आधारित जनगणना कराए.
दरअसल बीते दिनों ही लोकसभा में एक सवाल पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बताया था कि 2021 की जनगणना में केंद्र सरकार केवल की ही गिनती कराने के पक्ष में है. हालांकि नीतीश कुमार, लालू यादव, शरद पवार, मुलायम सिंह यादव जैसे नेता हमेशा से जाति आधारित जनगणना की मांग करते रहे हैं जिनमें ओबीसी की भी गिनती हो.
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