प्रयागराज। वरिष्ठ रंगकर्मी रामचंद्र गुप्त का रविवार सुबह बड़ी स्टेशन के पास स्थित राजा रीवा का हाता मिन्हाजपुर स्थित आवास पर निधन हो गया। 77 वर्षीय रामचंद्र गुप्त दो-तीन दिन पहले बाथरूम में गिर गए थे। रविवार सुबह 4 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार रसूलाबाद घाट पर किया गया। उनके भतीजे मनीष ने उन्हें मुखाग्नि दी। रामचंद्र गुप्त के निधन से प्रयाग रंगमंच की समृद्ध परंपरा की अंतिम कड़ी टूट गई। उनके निधन पर शहर के रंगकर्मियों और कलाकारों ने गहरा दु:ख व्यक्त किया।
रंग निर्देशक अभिलाष नारायण ने कहा कि उनके निधन से शहर के रंगकर्मियों ने अपना एक शुभचिंतक खो दिया। रामचंद्र गुप्त 1960 से 1990 तक प्रयाग रंगमंच से जुड़े रहे। विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान के संरक्षक रहे। उनके जाने से प्रयाग रंगमंच का आख़िरी स्तंभ भी ढह गया। कवि व रंगकर्मी अजामिल व्यास ने कहा कि रामचंद्र गुप्त ने 70 से 90 के दशक तक नाटकों में बेहतरीन अभिनय किया। वह कलाकारों को बहुत प्रोत्साहित करते थे। उन्होंने नाटक प्रेम तेरा रंग कैसा में कमाल का अभिनय किया था। मेहमाननवाजी भी बहुत बेहतरीन करते थे। रंगकर्मी अनिल रंजन भौमिक ने कहा कि रामचन्द्र गुप्त एक अभिनेता के साथ-साथ संगठनकर्ता भी थे। उन्होंने डॉ. सत्यव्रत सिन्हा और डॉ. जीवन लाल के निर्देशन में कई नाटकों में अभिनय किया था। वह आकाशवाणी इलाहाबाद के ए ग्रेड के अभिनेता भी रहे। गुप्त के निधन से उनकी व्यक्तिगत क्षति हुई है। समन्वय की सचिव सुषमा शर्मा ने रामचंद्र गुप्त को श्रेष्ठ अभिनेता बताया। एकता संस्था एवं आस्था समिति की ओर से हुई शोक सभा में गायक मनोज गुप्ता, चीफ वार्डन अनिल कुमार, रतन दीक्षित, शैलेश श्रीवास्तव, अतुल यदुवंशी, श्लेष गौतम, तेजिंदर वार्ष्णेय, केके वार्ष्णेय, इकबाल ने शोक व्यक्त किया।
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