अग्निकांड, भूकंप, बाढ़ जैसी आपदा के दौरान पुस्तकालय भवनों, दुर्लभ पुस्तकों और पांडुलिपियों को बचाने के लिए पहली बार विश्व स्तर पर डिजास्टर टूल किट तैयार की गई है। वैश्विक स्तर पर विशेषज्ञों की मदद से इस टूल किट का प्रारूप यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल साइंटिफिक एंड कल्चरल आर्गेनाइजेशन( यूनेस्को) ने तैयार किया है। थाईलैंड की राजधानी बैंकाक में पांच से सात जून तक मंथन के बाद इस पर मुहर लगेगी। इसमें इलाहाबाद पब्लिक लाइब्रेरी के पुस्तकालयाध्यक्ष गोपाल मोहन शुक्ल भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। अब तक विश्व के किसी भी पुस्तकालय में आपदा से निबटने के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी।
आपदा प्रबंधन के अभाव में विश्व भर में पुस्तकालयों को अक्सर नुकसान पहुंचता रहा है। बीते वर्ष बिहार के एक मदरसे में अग्निकांड की वजह से वहां का पुस्तकालय जल गया था। 4,500 पांडुलिपियां जलकर नष्ट हो गई थीं। इसके बाद पुस्तकालयों में आपदा से बचाव के उपायों पर काम करने का सुझाव दिया गया। अक्तूबर 23 में दिल्ली में संस्कृति मंत्रालय ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सहयोग से पुस्तकालयों में आपदा प्रबंधन पर विशेषज्ञों से राय मांगी थी।
इस बीच आईआईटी जोधपुर और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑप डिजास्टर मैनेजमेंट की ओर से भी जोधपुर में इस मसले पर साझा अध्ययन कराया तो पता चला कि देश ही नहीं, दुनिया भर के पुस्तकालयों में आपदा से निबटने के लिए कोई व्यवस्था ही नहीं है। इसके बाद राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस दिशा में हुए प्रयासों को सूचीबद्ध करने के साथ ही आगे के उपायों पर विशेषज्ञों से सुझाव मांगे गए।
इस अध्ययन कार्यशाला में इलाहाबाद पब्लिक लाइब्रेरी के पुस्तकालयाध्यक्ष गोपाल मोहन ने अपनी ओर से आपदा से निबटने के लिए कार्ययोजना सौंपी थी। इनके अलावा अन्य पुस्तकालयों से भी सुझाव दिए गए। इन सुझावों और प्रस्तावों के आधार पर यूनेस्को ने पुस्तकालयों में आपदा प्रबंधन के लिए डिजास्टर टूल किट तैयार की है। इसे अंतिम रूप पांच से सात जून के बीच बैंकाक में दिया जाएगा। इसमें गोपाल मोहन भारत की ओर से प्रतिनिधित्व करेंगे।
पुस्तकालयों में आग, पानी, बाढ़, भूकंप के अलावा चूहे, दीमक, झिंगुर से बचाव के लिए पेस्ट कंट्रोलिंग के अलावा तुरंत प्रतिक्रिया देने वाली प्रणाली विकसित करने का सुझाव दिया गया है। इसमें बिल्डिंग के अलावा पुस्तकालयों के संग्रहों, उपकरणों के साथ ही व्यवस्था और सेवा को आपदा से बचाने की व्यवस्था शामिल होगी।
-गोपाल मोहन शुक्ल, पुस्तकालयध्यक्ष, इलाहाबाद पब्लिक लाइब्रेरी
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