पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति की पहचान अनूठी है, जो बांटना नहीं सिखाती। हमारी संस्कृति मानती है कि आत्मा से हम सब एक साथ बंधे हुए हैं। हमारी संस्कृति अपनी बुनियादी जड़ों से जुड़ी हुई है। जो जाति, धर्म और भाषा के आधार पर इंसान को नहीं देखती, बल्कि मानवता के अंदर दिव्यता के आधार पर उसे स्थान देती है। प्रयागराज भारतीय संस्कृति का केंद्र है। यहां, गंगा, यमुना और सरस्वती आपस में मिलकर हमें एकजुट होने का संदेश देती हैं।
इम्तियाज अहमद गाजी की किताब 21वीं सदी के इलाहाबादी पुस्तक के विमोचन के दौरान मुख्य अतिथि केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भारतीय संस्कृति का सही अर्थ समझाते हुए यह विचार व्यक्त किए। रविवार को करेलाबाग स्थित बेनहर स्कूल एंड कॉलेज के जाहिदा आडिटोरियम में गुफ्तुगू संस्था की ओर से आयोजित पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में आरिफ मोहम्मद खान ने अपने संबोधन में कहा कि आमतौर पर जो लोग असाधारण कार्य करते हैं, उन्हें खोजकर भारत सरकार पद्म पुरस्कार से नवाजती है। मगर, प्रयागराज के इम्तियाज अहमद ने शहर के असाधारण व्यक्तियों को अपनी किताब में शामिल कर संस्कृति को सहेजने का काम किया है। राज्यपाल ने रामायण, गीता व कुरआन के श्लोक व आयतों को पढ़कर भारतीय संस्कृति की जानकारी दी।
संबोधन से पूर्व अतिथियों ने 21 वीं सदी के इलाहाबादी-भाग दो और गुफ्तगू के नवीन अंक का विमोचन किया। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में सरहानीय सेवा के लिए 126 विभूतियों व उनके परिजनों को सम्मानित किया। किताब के लेखक इम्तियाज अहमद ने अपने संबोधन में कहा कि उनकी कोशिश है कि विभिन्न क्षेत्रों में शहर का प्रतिनिधित्व कर रही विभूतियों के कार्यों को एक किताब में सहेजा जाए। इसके लिए उन्होंने व्यक्तिगत रूप से सभी विभूतियों से मुलाकात की और भाग-1 व भाग-2 में इन्हें एकत्र किया। लेकिन उन्हें खुशी है कि वह इस कार्य में सफल हुए हैं।
विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार प्रताप सोमवंशी ने कहा कि प्रयागराज विद्वानों व समृद्ध लोगों का शहर है। यहां पद्मश्री डॉ. राज बवेजा जैसी हस्तियां मौजूद हैं। इस अवसर पर उन्होंने अपने गुरू और हिंदी पत्रकारिता के स्तंभ रहे प्रभाष जोशी को भी याद किया। डॉ. राजीव सिंह व अतहर जिया ने पुस्तक की सराहना करते हुए प्रयागराज की एतिहासिक व सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता पद्मश्री डॉ. राज बवेजा और संचालन शैलेंद्र जय ने किया। इस मौके पर नरेश कुमार महरानी, प्रभाशंकर शर्मा, डॉ. वीरेंद्र तिवारी, अर्चना जायसवाल, नीना मोहन श्रीवास्तव, उत्कर्ष मालवीय, अनिल मानव, शिवाजी यादव, धीरेंद्र सिंह नागा, कमल किशोर, दयाशंकर प्रसाद, असफर जमाल, हकीम रेशादुल इस्लाम आदि मौजूद रहे।
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